Saturday, 24 October 2015
Friday, 23 October 2015
Wednesday, 29 July 2015
‘‘गलतियों से सीखूंगा और सपने का पीछा करुंगा और एक दिन ऊंचाई को छू लूंगा’’- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम
बुलंदशहर। देश को अग्नि मिसाईल देकर शाक्ति सम्पन करने
वाले और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की याद लोगों के दिलों की
गहराईयों में घर कर गयी है। बुलंदशहर सिटी के निर्मला कान्वेंट स्कूल के
छात्रों के आदर्श डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम से उनकी मुलाकात 17 दिसंबर 2013 को
हुई थी। मौका था स्कूल के गोल्डन जुबली सेलेब्रेशन का। कड़कड़ाती ठंड और
घने कोहरे से बेपरवाह डॉ0 कलाम स्कूल के कार्यक्रम में शाम 6 बजे पहुँचे और
दो घंटों तक बच्चों के बीच रहे।
डॉ. कलाम ने बच्चों की छुपी क्षमताओं को बाहर कैसे बाहर लाया जाता है सिखाया। उन्होंने बच्चों को सिखाया कैसे देश और समाज को बडा बनाया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद जब कलाम साहब ने मंच पर माइक संभाला तो बच्चों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खड़े होकर उनका स्वागत किया। कलाम साहब ने बताया कि जो शख्स उन बच्चों के सामने है, वह एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखता है। ऐसे गाँव से जहाँ सड़क, बिजली, पानी तो दूर रोजीरोटी के सामान्य साधन मयस्सर नही होते।
बच्चों को फ्रैन्डस कहते थे
डा. कलाम साहब अपने भाषण में बच्चों को फ्रैन्ड्स कहते थे। उन्हें बच्चों में अकूत क्षमताऐं और अपार संभावनाऐं दिखती थी। उन्होने कहा था कि हर क्षण अपने देश के उत्थान और समाज की प्रगति के बारे में काम करो। आप सफल रहेगे और आपकी सफलता उम्मीदों से बड़ी होगी। अपने भाषण के दौरान उन्होने बच्चों को मंच के पास बुलाया और उनसे सवाल करने के लिए कहा। उन्होने कहा था कि आज तुम्हारे मन में जितने भी सवाल है मुझे बताओ। मैं तुम्हें सफलता और जीवन के रहस्यों का तोड़ बताऊँगा। मैं बताऊँगा कि कैसे खुली आंखों से सपने देखे जाते है और उन्हें कड़ी मेहनत से सच में तब्दील किया जाता है।
ऊचाई छूने का सिखया हुनर
मिसाइलमैन ने संबोधन के दौरान बच्चों को अपने साथ-साथ कुछ पंक्तियां उच्चारण करने को कहते थे। मसलन ‘आई विल फ्लाई, बिकॉज आई हैव हैव विग्स, आई विल नॉट डिफीट, आई विल लर्न फ्रॉम मिस्टेक्स एंड फॉलो माई ड्रीम एंड फाइनली रीच टू द टॉप’। यानि कि ‘मैं उडूंगा क्योंकि मेरे पास पंख हैं। मैं हार नहीं मानूंगा। मैं अपने गलतियों से सीखूंगा और सपने का पीछा करुंगा और एक दिन ऊंचाई को छू लूंगा’।
तीन बार आए थे ‘बुलंदशहर’
विद्या ज्ञान के बाद वह बुलंदशहर के निर्मला कान्वेंट और खुर्जा आए और यहां भी बच्चों को संबोधित किया था। यहां भी उन्होंने अपने जीवन की संघर्ष गाथा सुनाई थी। बताया था कि किस तरह गरीबी में उन्होंने पढ़ाई की। अभाव देखा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मिसाइल वैज्ञानिक बने और एक दिन देश के राष्ट्रपति। वह बच्चों में एक सपने का बीज बो देते थे कि उन्हें एक दिन बड़ा आदमी बनना है। जरूरी नहीं वैज्ञानिक या गणितज्ञ, जो भी उनकी रुचि हो। मसलन खिलाड़ी, चित्रकार, पत्रकार, साहित्यकार, बिजनसमैन या कुछ भी। वह कहा करते थे कि जिस क्षेत्र में जाओ, टॉप पर पहुंचने के लिए प्रयत्न करो। क्योंकि सफल व्यक्तियों से ही सफल देश का निर्माण होगा।
News Cover by: Bulandshehr Express
डॉ. कलाम ने बच्चों की छुपी क्षमताओं को बाहर कैसे बाहर लाया जाता है सिखाया। उन्होंने बच्चों को सिखाया कैसे देश और समाज को बडा बनाया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद जब कलाम साहब ने मंच पर माइक संभाला तो बच्चों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खड़े होकर उनका स्वागत किया। कलाम साहब ने बताया कि जो शख्स उन बच्चों के सामने है, वह एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखता है। ऐसे गाँव से जहाँ सड़क, बिजली, पानी तो दूर रोजीरोटी के सामान्य साधन मयस्सर नही होते।
बच्चों को फ्रैन्डस कहते थे
डा. कलाम साहब अपने भाषण में बच्चों को फ्रैन्ड्स कहते थे। उन्हें बच्चों में अकूत क्षमताऐं और अपार संभावनाऐं दिखती थी। उन्होने कहा था कि हर क्षण अपने देश के उत्थान और समाज की प्रगति के बारे में काम करो। आप सफल रहेगे और आपकी सफलता उम्मीदों से बड़ी होगी। अपने भाषण के दौरान उन्होने बच्चों को मंच के पास बुलाया और उनसे सवाल करने के लिए कहा। उन्होने कहा था कि आज तुम्हारे मन में जितने भी सवाल है मुझे बताओ। मैं तुम्हें सफलता और जीवन के रहस्यों का तोड़ बताऊँगा। मैं बताऊँगा कि कैसे खुली आंखों से सपने देखे जाते है और उन्हें कड़ी मेहनत से सच में तब्दील किया जाता है।
ऊचाई छूने का सिखया हुनर
मिसाइलमैन ने संबोधन के दौरान बच्चों को अपने साथ-साथ कुछ पंक्तियां उच्चारण करने को कहते थे। मसलन ‘आई विल फ्लाई, बिकॉज आई हैव हैव विग्स, आई विल नॉट डिफीट, आई विल लर्न फ्रॉम मिस्टेक्स एंड फॉलो माई ड्रीम एंड फाइनली रीच टू द टॉप’। यानि कि ‘मैं उडूंगा क्योंकि मेरे पास पंख हैं। मैं हार नहीं मानूंगा। मैं अपने गलतियों से सीखूंगा और सपने का पीछा करुंगा और एक दिन ऊंचाई को छू लूंगा’।
तीन बार आए थे ‘बुलंदशहर’
विद्या ज्ञान के बाद वह बुलंदशहर के निर्मला कान्वेंट और खुर्जा आए और यहां भी बच्चों को संबोधित किया था। यहां भी उन्होंने अपने जीवन की संघर्ष गाथा सुनाई थी। बताया था कि किस तरह गरीबी में उन्होंने पढ़ाई की। अभाव देखा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मिसाइल वैज्ञानिक बने और एक दिन देश के राष्ट्रपति। वह बच्चों में एक सपने का बीज बो देते थे कि उन्हें एक दिन बड़ा आदमी बनना है। जरूरी नहीं वैज्ञानिक या गणितज्ञ, जो भी उनकी रुचि हो। मसलन खिलाड़ी, चित्रकार, पत्रकार, साहित्यकार, बिजनसमैन या कुछ भी। वह कहा करते थे कि जिस क्षेत्र में जाओ, टॉप पर पहुंचने के लिए प्रयत्न करो। क्योंकि सफल व्यक्तियों से ही सफल देश का निर्माण होगा।
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Sunday, 19 July 2015
नमाज अदा कर मांगी अमन-चैन की दुआ
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शनिवार सुबह से ही ईद का उल्लास चारों ओर दिखाई दे रहा था। रंग-बिरंगे कपडे पहने बच्चे और बुजुर्ग, युवा सामूहिक रुप से ईदगाह पहुंचे तो, कुछ लोग जामा मस्जिद पहुंचे। यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लोगों ने ईद की नमाज अदा की और मुल्क में अमन-चैन और तरक्की की दुआ मांगी। नमाज अदा होते ही लोग एक दुसरे के गले मिल कर ईद की बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया।
अंसारी रोड स्थित ईदगाह पर एसएसपी अनंतदेव तिवारी व एसपी सिटी राजेश कुमार, एडीएम विशाल सिंह मौजूद रहे। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने गले मिलकर लोगों के साथ पर्व की खुशी का इजहार किया। बडे लोगों ने बच्चों को ईदी देकर उनकी खुशियों को और दोगुना कर दिया और जरूरतमंदों को दान किया। ईदगाह में सजे मेले में पहुंच कर बच्चों ने आसमानी झूलों व खिलौने और खाने-पीने के सामान की जमकर खरीददारी की। इसके बाद लोगों ने मित्रों व परिवार और रिश्तेदारों को ईद की बधाई दी।
पुलिस बल रहा तैनात
ईद पर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम रहे। सुबह सात बजे से ही शहर के आंतरिक स्थानों पर प्रशासन ने बडे वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी। कई मार्गो पर डायवर्जन रहा। ईदगाह के चारों ओर सुरक्षा के लिहाज से पुलिस जवान तैनात किए गए थे। साथ में साफ-सफाई की व्यवस्था के लिए नगर पालिका कर्मियों को भी लगाये गये थे।
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बुलंदशहर में अमन-चैन की दुआ मांग मनाया ईद का पर्व
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स्याना में ईद-उल-फितर का पर्व खुशनुमा माहौल में मनाया गया। वैरा रोड स्थित ईदगाह पर हजारों अकीदतमंदों ने ईद की नमाज अता कर देश की तरक्की व खुशहाली की दुआ की। स्याना के शहर मुफ्ती मौ. शाहिद ने नमाज अता कराई। उन्होंनें कहा कि सभी कौम मिल-जुलकर रहें तथा अमन के दुश्मनों को अल्लाह सही राह दिखाए। कहा कि किसी के बहकावे में न आकर भाईचारे को मजबूत बनाएं। हिन्दुस्तान पर कोई बला न आए व देश तरक्की करे।
गुलावठी, पुलिस अभिरक्षा के बीच हजारों अतीकमंदो ने ईद की नमाज अता कर देश में अमन चैन की दुआएं मांगी। सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने कैम्प लगा ईद की मुबारक दी। शनिवार को गुलावठी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना फरीदुद्ीन ने ईदगाह पर ईद की नमाज अता करायी। नमाज को शांतिपूर्ण ढ़ग से सम्पन्न कराने के लिए चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया था। अंकीदतमंदो ने मेरठ-बुलंशहर हाइवे पर बैठकर नमाज अता की। जिसके कारण हाइवें पर ट्रैफिक बंद कर दिया गया। नमाज के बाद अंकीदतमंदो ने देश में अमन चैन की दुआएं मांगी
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“बजरंगी भाईजान” की हाउसफुल ओपनिंग रही सलमान को ईद का तौफा
बुलंदशहर में ईद के मौके पर ‘बजरंगी भाईजान’ को लेकर दर्शको में जबरदस्त क्रेज देखा गया। कई सिनेमाहाल्स पर बजरंगी भाईजान की टिकट के लिए मारामारी हुई तो कई जगह भीड़ ने सिनेमाहाल के बाहर भी हाउसफुल रखा। वान्टेड, रेडी, दबंग और एक था टाइगर जैसी फिल्मों को ईद पर हिट करने का फार्मूला एक बार फिर सलमान खान के लिए मुनाफे का सौदा साबित रहा।
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हिट होने का नया फार्मूला “विवाद”
मून सिनेमा के मालिक धीरेन्द्र सोलंकी का कहना है कि काफी लंबे समय बाद सलमान की फिल्म को लेकर दर्शको में इतना क्रेज देखा जा रहा है। इसकी वजह ईद पर सलमान की नई रिलीज के अलावा फिल्म का हनुमान चालीसा को लेकर पहले से विवादित हो जाना भी है। दरअसल, अब फिल्म हिट करने का फार्मूला विवाद बन गया है और दर्शक इस विवाद की असलियत को देखने के लिए सिनेमाघर तक खिंचे चले आते है।
रही एडवांस बुकिंग
‘बजरंगी भाईजान’ देखने पहुँचे फैजान, राहिल और उनके दोस्त तरूण ने बताया कि वह सलमान के बड़े फैन है और उनकी कोशिश रिलीज के पहले शो में बैठकर फिल्म देखना रही है। लेकिन इस बार दो दिन के 6 शो बीत जाने के बाद भी उन्हें टिकट नही मिल पाया है। एडवांस बुकिंग बहुत ज्यादा है
एक घंटे में हाउसफुल, जमकर ब्लैक
सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों पर सुबह 10 बजे से ही टिकट के लिए लाइन लग गई थी। दोपहर 12 वाले शो की टिकट 11 बजे ही बिक गई। दर्शकों को टिकट न मिलने का फायदा ब्लैक करने वालों ने उठाया। विशाल सिनेमा के बाहर बालकनी की टिकट 300 रुपये तक में ब्लैक हुई।
छुटटी का मजा किया दोगुना
छुट्टी का दिन था ऐसे में बजरंगी भाईजान को देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। टिकट खिड़की खुली और थोड़ी देर में ही हाउसफुल का बोर्ड लटक गया। दर्शकों के दिल पर सलमान ऐसे छाए कि हर कोई बस यही बोला छुट्टी का मजा दोगुना हो गया।
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http://bulandshahrexpress.in/2015/07/18/house-full-show-in-bajrangi-bhaijaan-bulandshahr/
Friday, 22 May 2015
फांके करके बनाया “ताजमहल” वक्फबोर्ड को दिया
फांके करके बनाया “ताजमहल” वक्फबोर्ड को दिया
मुगलिया शहंशाह शाहजहाँ की तरह अपने मरहूम बेगम के लिए ‘ताजमहल’ बनवाने वाले बुलंदशहर के फैजुल हसन कादरी ने अपने ताजमहल को पूरा करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। कादरी ने अपने ताजमहल की बेहतरी के लिए उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिकार में दे दिया है। करीब तीन वर्षो से तंगहाली के चलते इस ताजमहल का निर्माण अधर में लटका था और फैजुल हसन कादरी का ख्वाब भी अधूरा था।
बुलंदशहर के डिबाई इलाके के गाँव कसेर कला के रहने वाले 81 साल के रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल बुलंदशहर के डिबाई कस्बे के कसेर गांव में रहते हैं। फैजुल हसन कादरी ने अपनी बेगम तज्जुम्मली से उनके जीते-जी वायदा किया था कि वह उनकी याद में एक खूबसूरत मकबरा बनवायेगे। कादरी अपनी बेगम से बेइन्तेहा मुहब्बत करते थे। लेकिन खुदा ने उन्हे औलाद से महरूम रखा। तज्जुम्मली बेगम चाहती थी कि उनके मरने के बाद दुनियां उन्हें याद रखे।
दिसम्बर 2011 में शुरू हुआ निर्माण
दिसंबर 2011 में उनकी पत्नी तज्जमुली बेगम की मौत हो गई थी। पत्नी का मानना था कि मरने के बाद उनको याद रखने वाला कोई नहीं होगा। इसलिए एक ऐसी इमारत बनवाई जाए, जिसके जरिए लोग उन्हें सालों तक याद रखें। ऐसे में फैजुल ने वादा किया कि वह एक मिनी ताजमहल बनवाएंगे। पत्नी की मौत के बाद फरवरी 2012 में इस इमारत का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
लगा चुके है जमापूंजी
फैजुल हसन कादरी ने अपने घर से सटे खेत में ही ‘ताजमहल’ का निर्माण शुरू करा दिया था। कादरी इस ताजमहल में अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई करीब 17 लाख रूपये खर्च कर चुके है। ताजमहल के लिए उन्होने अपनी जमापूँजी के अलावा अपनी बेगम के जेवर और कुछ जमीन भी बेच दी। आजकल वह खुद मुफलिसी में रहकर अपनी पैंशन का 70 फीसदी हिस्सा ताजमहल का निर्माण पूरा करने के लिए जुटा रहे थे। उन्होंने बताया कि ताजमहल पर संगमरमर लगने और उसके आसपास के सौन्दर्यकरण के लिए करीब 30 लाख रूपये का खर्च आने की और उम्मीद है।
वक्फ बोर्ड के नाम किया ‘ताजमहल’
फैजुल हसन कादरी ने ताजमहल के साथ-साथ छह बीघा जमीन भी वक्फ बोर्ड के नाम शपथपत्र देकर रजिस्टर्ड करा दी है। कादरी के भाई मौजुल हसन व उनका पुत्र शागिव हसन इस जायदाद के मुतवल्ली बने रहेंगे। उन्होने शर्त रखी है कि उनके इंतकाल के बाद वक्फ बोर्ड हमेशा इस ताजमहल की हिफाजत करेगा लेकिन इसके निर्माण को पूरा करने में किसी भी शख्स का निजी सहयोग नही लिया जायेगा।
तज्जमुली बेगम के बराबर में दफन होना चाहते हैं फैजुल
फैजुल द्वारा बनवाए जा रहे इस मिनी ताजमहल में तज्जमुली बेगम दफन हैं। वह इसे जल्द से जल्द पूरा करवाना चाहते हैं। साथ ही उनकी इच्छा है कि मौत के बाद उन्हें भी वहीं तज्जमुली बेगम के बगल में ही दफनाया जाए। फैजुल का सपना है कि उनका ताजमहल भी बिल्कुल वैसा ही हो, जैसा आगरा में है। उसके सामने उसी तरह से फव्वारे हों, नक्काशी और बाग हो।
450 गजले लिख चुके है फैजुल
उर्दू, हिंदी और फारसी के जानकार फैजुल हसन कादरी अपनी बेगम के लिए अब तक 450 से ज्यादा गजलें लिख चुके है। अब वो इन गजलों का प्रकाशन उर्दू और फारसी के अलावा हिन्दी में भी कराया चाहते है।
News Covers By http://bulandshahrexpress.in/2015/05/22/taj-mahal-in-bulandshahr/
Tuesday, 28 April 2015
Monday, 6 April 2015
Friday, 3 April 2015
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