VOI News की टीम 10 फरवरी को बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला
के ऑफिस पहुंची तो वो कार्यालय प्रांगण में बैठी जनता की समस्याएं सुन रही
थीं। देश के प्रतिष्ठित टीवी चैनल एबीपी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार रविकांत
उनके पास बैठे थे।
जिलाधिकारी से मिलने तमाम लोग आ रहे थे और बिना किसी रोक-टोक के उनसे
मिल पा रहे थे। एक महिला अपनी समस्या बताते-बताते रोने लगी तो जिलाधिकारी
ने पहले उसे चुप कराया और फिर उसकी पूरी बात सुनी।
उन्हें पता चला कि किस तरह एक छोटी से परेशानी किसी ग्रामीण के लिए बड़ी
हो सकती है। उन्होंने तत्काल उस महिला की मदद के लिए संबंधित अधिकारी को
निर्देश दिए।
तभी एक दूसरी महिला अपनी परेशानी बताते हुए बेहोश हो गई। डीएम ने तत्काल
एंबुलेंस बुलाने को फोन किया और मताहतों से महिला को पानी पिलाने को कहा।
महिला होश में आई और अपनी परेशानी बताई। जिलाधिकारी ने तत्काल उसकी शिकायत
पर कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए।
एक दिव्यांग भी अपने परेशानी लेकर पहुंचा था। उन्होंने उसकी भी मदद की।
हालांकि वो कहती हैं कि मैं सिर्फ अपना काम करती हूं। मैं वही करती हूं जो
मेरा काम है। जनता की परेशानी सुनना और उस पर कार्रवाई करना यही तो मेरी
जिम्मेदारी है।
एक पूर्व फौजी भी वहां पहुंचे थे, उन्हें भी कोई समस्या थी, उनके सर पर
टोपी और सीने पर बैच देखते ही जिलाधिकारी ने हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्कार
किया और उनकी समस्या सुनी।
VOI News ने देखा कि वे पूरा वक्त जनता के साथ संवाद में मशगूल रहीं और
उनकी परेशानियों को सुनती रहीं। वहां मौजूद पत्रकारों ने उनसे सेल्फी
प्रकरण में बयान देने का अनुरोध किया तो उन्होंने सौम्य तरीके से इंकार कर
दिया। गौरतलब है कि पिछले दिनों से यह प्रकरण चर्चाओं में है।
इस प्रकरण पर तो VOI कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन हमारे संवाददाता ने देखा
कि जो लोग परेशानी लेकर जिलाधिकारी तक पहुंचे थे उन्होंने ‘डीएम जिंदाबाद’
के नारे लगाए, जो लोग रोते हुए आए थे वो उम्मीद लेकर वापस गए और जो लोग हर
ओर से निराशा लेकर आए थे वो अपने साथ आशा लेकर गए।
जहां अमूमन देखा जाता है कि सरकारी अधिकारी काम में हीलाहवाली करते हैं
वहीं जिलाधिकारी बी. चंद्रकला काम के प्रति समर्पण का बढ़िया उदाहरण पेश
करती हैं। और ऐसे में यह तय है कि ऐसे अधिकारी चर्चाओं में रहेंगे ही।
यहां अनिल कपूर की नायक फिल्म का एक संवाद याद आ रहा है- मैंने एक दिन
में ना तो कोई नया काम किया और ना ही कोई अलग काम किया, मैंने सिर्फ वही
किया जो एक मुख्यमंत्री को करना चाहिए।
राष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा था- यदि सब मिल कर सब राष्ट्रयज्ञ में निभाएं कर्तव्य अपना, तो एक वर्ष में ही हो पूरा मेरा राम राज्य का सपना।
अगर सभी लोग सिर्फ ऐसे ही अपना काम करें तो भारत की तरक्की को रोका नहीं जा सकेगा।
Source : http://voinews.in/?p=54
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