Monday 10 October 2016

शहादत के 22 महीनों बाद भी नौकरी के लिए भटक रही है शहीद की विधवा

मेरठ में शहादत देने वाले जांबाज सिपाही एकांत यादव की पुलिस विभाग के अफसरों ने अनदेखी की है. शहादत के 22 महीने बाद भी शहीद एकांत की पत्नी अंशू नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली.
अंशू के पति एकान्त ने 1 दिसंबर 2014 को मेरठ के कुख्यात नूरइलाही उर्फ नूरा को मुठभेड़ में मार डाला था और खुद भी लड़ते हुए शहीद हो गए.
शहादत के 22 महीनों बाद भी नौकरी के लिए भटक रही है शहीद की विधवा
बुलंदशहर के नगला काला के निवासी यूपी पुलिस के सिपाही एकांत यादव 1 दिसंबर 2014 को मेरठ में उस वक्त शहीद हुए जब वह पुलिस पिकेट पर गश्त के लिए निकले थे. उसी दौरान उनकी मुठभेड़ कुख्यात नूरइलाही उर्फ नूरा से हुई. नूरा ने गोलियां चलाई तो एकांत और उनके साथी लोकेश ने उसे दबोचकर ढेर कर दिया. इस मुठभेड़ में एकांत को पेट में गोली लगी और वह शहीद हो गए.
उनकी शहादत पर फक्र करते हुए मेरठ के तत्कालीन आईजी आलोक शर्मा ने उनकी पत्नी को नौकरी और 27 लाख रूपये के मुआवजे का ऐलान किया था. लेकिन शहादत के बाद पुलिस के अधिकारी सब कुछ भूल गए.
एकांत की पत्नी अंशू यादव 22 महीनों से नौकरी के लिए परेशान है, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं.
बता दें अंशू और एकांत की शादी 5 जुलाई 2014 को हुई थी. अंशू ने शादी के महज 5 महीनो में ही अपना सुहाग खो दिया. सरकार एकांत की शहादत का सम्मान करती रही और पुलिस के अफसर उस शहादत की बेकदरी. हैरत की बात ये है कि नौकरी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अंशू ने जी-तोड़ मेहनत करके फिजीकल टेस्ट भी पास कर लिया. लेकिन इसके बाद नौकरी की फाइल आईजी मेरठ के आफिस से गायब हो गई.
अंशू की फरियाद अब न अफसर सुनते है और न आईजी आफिस के बाबू.


Source: http://hindi.pradesh18.com/news/uttar-pradesh/bulandshahr/martyrs-widow-still-awaiting-govt-job-in-bulandshahr-1495121.html

No comments:

Post a Comment