Saturday 7 May 2016

अब नही मिलेगी खुर्जा पॉटरी उद्योग के खूबसूरत कप और प्लेटे, 51 पॉटरी बंद


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के आदेश पर बुलंदशहर की 51 पॉटरी फैक्ट्रियों को बंद करा दिया गया है। दिल्ली की जयहिंद एनजीओ ने 2015 में पॉटरी उद्योग पर प्रदूषण फैलाने के आरोपों के साथ एनजीटी में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने खुर्जा पॉटरी उद्योग की 51 इकाईयों पर तालेबंदी के आदेश दिए है। खुर्जा की 108 पॉटरी फैक्ट्रियों पर अभी भी एनजीटी की कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
चाय के खूबसूरत कप और प्लेटें अब बीते दिनों की बात रह जायेगी। बुलंदशहर की विश्वप्रसिद्ध पॉटरी का 4 सौ साल पुराना इतिहास अब मिट्टी में मिल जायेगा। 7 अप्रैल को जारी एनजीटी के आदेश पर खुर्जा की 51 पॉटरियों में जिला प्रशासन ने ताला डाल दिया है। एनजीटी ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का एअर और वाटर एनओसी न होने पर इन पॉटरियों को बंद करने के आदेश दिये थे। जिला प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अफसरों की हीलाहवाली के चलते बंद इन पॉटरियों से जुड़े लाखों हाथ अब बेरोजगार हो जायेगे।

देश में यह इकलौती इन्डस्ट्री है जो ऑरेंज कैटिगिरी में आती है। यहाँ मिट्टी के इन बर्तनों को भट्टी के बजाय डीजल से चलने वाले बर्नरों से पकाया जाता है। बता दे कि 2015 में बुलंदशहर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रहे अनिल चैधरी एक पॉटरी से रिश्वत मांगते कैमरे में कैद हुए थे। मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद उन्हें यहाँ से हटा दिया गया जिसकी चिढ़ में चैधरी ने एक एनजीओ के माध्यम से याचिका विभागीय फाइलें एनजीटी में पहुँचा दी। एनजीटी ने बाकी बची पॉटरियों की मॉनीटरिंग रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी है। माना जा रहा है कि इन 108 फैक्ट्रियों पर भी जल्द ताला डाल दिया जायेगा।
Potri-02
पॉटरी का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है
खुर्जा पॉटरी उद्योग का इतिहास 400 वर्ष पुराना है अभिलेखों से पता चलता है कि तेमूर लंग के भारत आगमन के दौरान मिस्र, तुर्की, सिरिया, अफगानिस्तान आदि देशों से कुम्भकारी के क्षेत्र में दक्षता प्राप्त कारिगर खुर्जा में आकर बस गए। ये लोग स्थानीय पोखर, तलाबों की लाल मिटटी के बर्तनों को चाक पर बनाकर पारसियन मुगल शैली मे उन्हें ढालते थे। बाद में बारिक कलात्मक नककाशी व हस्तशिल्प का कार्य कर सजावटी सामान मस्जिद, मंदिर व बडे-बडे किलों हवलियों पर लगने वाली मिनारे बनाकर बेचते थे।

विदेशों में है खुर्जा पॉटरी का नाम
पाॅटरी में बनाए गए सजावटी सामाना फुलदान तथा गमले फ्रांस, अमरिका, इंग्लेण्ड और कनाडा के राष्ट्रपति भवनों में वहां की शोभा को चार चांद लगा रहे है। पॉटरी के सामने की डिमांण देश नही विदेशों में भी है। इसके अलावा भारत के परमाणू उपकेन्द्रों, इलेक्ट्रोनिकस एवं इलेक्ट्रीकल के क्षेत्र में प्रयोग होने वाले सामान हाईटेन्शन तथा लोटेंशन, इंसूलेटर्स की मांग भी विदेशों में बढने लगी। खुर्जा के चीनी मिटटी बर्तनों में प्रयोग होने वाला समस्त कच्चा रो-मेटेरियर गुजरात राजिस्थान, बंगाल, बिहार जैसे सुदूर प्रांतों से आता है।

भूखमरी की कगार पर हजारों मजदूर
जय हिन्द एनजीओ की याचिका के बाद 51 पाॅटरी ईकाइयों के हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इन हजारों मजदूरों के पास अब कोई दूसर काम नही, अब ये मजदूर सडक के किनारे हथठेलिया लगाकर अपने परिवार का भरन पोषण करने को मजबूर होगे। कुछ मजदूरों के सामने भूखमरी ने अपने पैर पसार लिए है। अच्छे खासे हस्तशिल्प के सामने रोजी रोटी का संकट खडा हो गया है।

स्लॉटर हाउसेज की देन है प्रदूषण
सौ फीसदी हैंडीक्राफ्ट श्रेणी में आने वाले इस सेरेमिक उद्योग पर अब मुसीबतों के काले बादल है। खुर्जा में प्रदूषण पॉटरी के बजाय अवैध स्लॉटर हाउसेज की देन है। लेकिन मजदूरों की दो वक्त की रोटी अधिकारियों को रास नही आ रही। अब वह दिन भी दूर नही जब एनजीटी के अगले आदेश पर खुर्जा का पॉटरी उद्योग हमेशा के लिए बंद कर दिया जायेगा।


Source: http://voinews.in/?p=1141#.VyyfNYcsWJM.facebook

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